सोच के मन काम औ काज बदल देता है…
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मनसरह मुसम्मन मतवी मकसोफ़
मुफ़तइलुन फ़ाइलुन मुफ़तइलुन फ़ाइलुन
2112 2 12 2 112 212
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सोच के मन काम औ काज बदल देता है
कल के तरीके से वो आज बदल देता है
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बदले उड़ानों के भरने का तरीका कभी
‘पर’ को कतरने वो अंदाज बदल देता हैँ
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सीखे हुनर मिट्टी से जो बना दें सोना यूँ
मेहनती हर शक्श सम्माज बदल देता हैँ
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कौन बदल पाया आदत जो पड़ी बारहा
एक बुरा सा सबक रिवाज़ बदल देता है
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कौन सिकन्दर बना सदियों रहा राज में
वक्त लकीरें सिरों ताज बदल देता है
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जाने वही कौन सा हो ढंग उसे भाएगा
वक्त से पहले वही आगाज बदल देता है
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चाहे गुँजाईश भी होती नहीं सामने
लोग हों कमजर्फ आवाज बदल देता हैँ
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712
5.4.24.