सोचता हूं
सोचता हूं कि
यह सुख का समय कम और
दुख का समय अधिक क्यों
होता है
किसी के भी जीवन में
सोचता हूं
हम जो चाहते हैं
वह नहीं पाते और
जो पाना चाहते हैं
वह मिल पाता नहीं
इस जीवन में
सोचता हूं कि
लोग मिलते हैं फिर
बिछड़ते हैं
ऐसे बिछड़ते हैं कि
दोबारा फिर कभी नहीं मिलते हैं
ऐसा क्यों घटित होता
इस जीवन में
सोचता हूं
अब तो यह अक्सर ही कि
त्याग दूं यह सांसे
जीवन के यह भोग विलास
सुख सुविधायें और
रोजमर्रा की
दैनिक गतिविधियां और
विलीन हो जाऊं
इस आकाश में
आंख से ओझल होते
किसी पंछी या
बादल की तरह।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001