सेवा गीत
भवन बन रहा संतो, सेवा में ध्यान लगाओ।
आओ आओ आओ ,तुम आओ आओ आओ।
बच्चों बहिनो महापुरूषों, आओ आओ आओ।
करलो सेवा गुरु घर की , हूई मुराद पूरी बर्षों की।
मत मानो बात किसी की, मन मे आनन्द मनाओ।। 1।।
भवन बन रहा ———–
आओ आओ आओ ——
संतो का भवन प्यारा, गुरु सिखो मे भाई चारा।
ये भवन बनेगा न्यारा, तुम लड्डू तो बंटवाओ।। 2।।
भवन बन रहा संतो———–
आओ आओ आओ ———-
तुम सेवा मे जुट जाओ, लंगर भी घर से लाओ।
पराठों के बीच अचारा , मिल बैठ यहीं पर खाओ।। ३।।
भवन बन रहा संतो ——-
आओ आओ आओ ——
तन मन धन अर्पण कर दो, तुम वाणी में रस भर दो।
दूजे को आगे कर दो, और खुद पीछै हट जाओ।। ४।।
भवन बन रहा संतो ——
आओ आओ आओ ——