Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2022 · 1 min read

सृष्टि विकास

देखिए सृष्टि विकास की ओर बढ़ता यह मन्द कदम
कितनी जुर्रत जोखिम उठाने होते है नये आगाज को
प्रेम पथ का पर्थिक भी सिर पकड़ बैठ जाता बरबस
गड़गड़ाता विषमताओं का घनघोर बादल रह रह कर

कितनी सकारात्मक होती है लगाना लगन प्रणय से
मन बुझा बुझा सा बस चारों ओर धुँआ ही धुँआ होता
फिर जीवन यात्रा में प्रेम रीति को निभाना ही होता है
पकड़ उँगली प्रिय की राह चलते जहर भी पीना होता है

Language: Hindi
25 Likes · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
नदी
नदी
Kumar Kalhans
* हासिल होती जीत *
* हासिल होती जीत *
surenderpal vaidya
जन्नत
जन्नत
जय लगन कुमार हैप्पी
*अगर दूसरे आपके जीवन की सुंदरता को मापते हैं तो उसके मापदंड
*अगर दूसरे आपके जीवन की सुंदरता को मापते हैं तो उसके मापदंड
Seema Verma
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
भरोसा खुद पर
भरोसा खुद पर
Mukesh Kumar Sonkar
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
बाढ़ और इंसान।
बाढ़ और इंसान।
Buddha Prakash
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
"तू-तू मैं-मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
चुनावी साल का
चुनावी साल का
*Author प्रणय प्रभात*
अस्तित्व अंधेरों का, जो दिल को इतना भाया है।
अस्तित्व अंधेरों का, जो दिल को इतना भाया है।
Manisha Manjari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
Basant Bhagawan Roy
पहचाना सा एक चेहरा
पहचाना सा एक चेहरा
Aman Sinha
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नन्ही मिष्ठी
नन्ही मिष्ठी
Manu Vashistha
" अब कोई नया काम कर लें "
DrLakshman Jha Parimal
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
"आत्म-मन्थन"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
Kishore Nigam
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा
अनूप अम्बर
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
जग में अच्छे वह रहे, जिन पर कोठी-कार (कुंडलिया)*
जग में अच्छे वह रहे, जिन पर कोठी-कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...