Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2024 · 1 min read

सूख कर कौन यहां खास ,काँटा हुआ है…

78…
26.4.24.
Madiid musamman saalim maKHbuun
faa’ilaatun fa’ilun faa’ilaatun fa’ilun
2122 112 2122 112

सूख कर कौन यहां खास ,काँटा हुआ है
आज तुम देख लो ऐसा ,तमाशा हुआ है
#
जंग मे हारा हुआ, लौट आया है हताश
महफिलों आप वही, तो नकारा हुआ है
#
कौन है बेच दे , सौदा कभी घाटे यहाँ
जब तलक मंदी का आगे , इशारा हुआ है
#
हम नहीं अपना सके, राह जो भूल गए
छोड़ के आना उसे, कब गवारा हुआ है
#
हम तरसते ही रहे इक बुलंदी को सुशील
भीतरी दर्द मिरा सब्र मारा हुआ है
#
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर
जोन 1 स्ट्रीट 3 दुर्ग छत्तीसगढ़

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
Ravi Prakash
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
शेखर सिंह
सच बोलने वाले के पास कोई मित्र नहीं होता।
सच बोलने वाले के पास कोई मित्र नहीं होता।
Dr MusafiR BaithA
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेहनत कर तू फल होगा
मेहनत कर तू फल होगा
Anamika Tiwari 'annpurna '
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
जोमाटो वाले अंकल
जोमाटो वाले अंकल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
पूर्वार्थ
!! प्रेम बारिश !!
!! प्रेम बारिश !!
The_dk_poetry
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जी रहे है तिरे खयालों में
जी रहे है तिरे खयालों में
Rashmi Ranjan
दोहा पंचक. . . . प्रेम
दोहा पंचक. . . . प्रेम
sushil sarna
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
Surya Barman
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
कवि दीपक बवेजा
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
ना कुछ जवाब देती हो,
ना कुछ जवाब देती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
Sonam Puneet Dubey
"इण्टरनेट की सीमाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
तुमको कुछ दे नहीं सकूँगी
तुमको कुछ दे नहीं सकूँगी
Shweta Soni
प्रिंट मीडिया का आभार
प्रिंट मीडिया का आभार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
Phool gufran
मुझको बे'चैनियाँ जगा बैठी
मुझको बे'चैनियाँ जगा बैठी
Dr fauzia Naseem shad
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
Vijay Nayak
*
*"रोटी"*
Shashi kala vyas
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Bodhisatva kastooriya
बेज़ुबान जीवों पर
बेज़ुबान जीवों पर
*प्रणय प्रभात*
तेरे जाने के बाद ....
तेरे जाने के बाद ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...