सूख कर कौन यहां खास ,काँटा हुआ है…
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26.4.24.
Madiid musamman saalim maKHbuun
faa’ilaatun fa’ilun faa’ilaatun fa’ilun
2122 112 2122 112
सूख कर कौन यहां खास ,काँटा हुआ है
आज तुम देख लो ऐसा ,तमाशा हुआ है
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जंग मे हारा हुआ, लौट आया है हताश
महफिलों आप वही, तो नकारा हुआ है
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कौन है बेच दे , सौदा कभी घाटे यहाँ
जब तलक मंदी का आगे , इशारा हुआ है
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हम नहीं अपना सके, राह जो भूल गए
छोड़ के आना उसे, कब गवारा हुआ है
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हम तरसते ही रहे इक बुलंदी को सुशील
भीतरी दर्द मिरा सब्र मारा हुआ है
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर
जोन 1 स्ट्रीट 3 दुर्ग छत्तीसगढ़