Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2022 · 1 min read

सूखी डाल पर हम दो पंछी

सूखी डाल पर
पतझड़ में
पेड़ पर
कोई पत्ता नहीं
हम दो पंछी आकर जो इस पर
बैठे
पल दो पल के लिए
इसका तन हरा हो गया और
यह देख
हम दोनों की आंखें भर
आई और
मन चंगा हो गया।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
144 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
जिंदगी,
जिंदगी,
हिमांशु Kulshrestha
जागे हैं देर तक
जागे हैं देर तक
Sampada
मोहन कृष्ण मुरारी
मोहन कृष्ण मुरारी
Mamta Rani
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
शहर
शहर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
*Author प्रणय प्रभात*
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
देवा श्री गणेशा
देवा श्री गणेशा
Mukesh Kumar Sonkar
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
जीवन संग्राम के पल
जीवन संग्राम के पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आदिपुरुष फ़िल्म
आदिपुरुष फ़िल्म
Dr Archana Gupta
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
Pramila sultan
पितृ स्तुति
पितृ स्तुति
दुष्यन्त 'बाबा'
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
बहुत हैं!
बहुत हैं!
Srishty Bansal
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
gurudeenverma198
*अच्छी आदत रोज की*
*अच्छी आदत रोज की*
Dushyant Kumar
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हार
हार
पूर्वार्थ
💐प्रेम कौतुक-173💐
💐प्रेम कौतुक-173💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
।। परिधि में रहे......।।
।। परिधि में रहे......।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मैं तो महज क़ायनात हूँ
मैं तो महज क़ायनात हूँ
VINOD CHAUHAN
मेरी हर सोच से आगे कदम तुम्हारे पड़े ।
मेरी हर सोच से आगे कदम तुम्हारे पड़े ।
Phool gufran
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
Paras Nath Jha
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
Gouri tiwari
Loading...