#सुमेरुमणि
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★ #सुमेरुमणि ★
उठा लो अपनी गंगाजली
बस और नहीं पियूँगा मैं
जीना सिखलाया इस जीवन
अगली बार जियूँगा मैं
उत्सव मेले रौनकें
तुमसे तुम तक जग रहीं
मेरे हाथ गीतसने
एक कनी न लूँगा मैं
आँगनपीपल घरद्वारेसाँकल
उपनाममिले बिनदानमिले
चलता हूँ चलता हूँ
अब और नहीं बिछूँगा मैं
कालियह्रद में कृष्णनर्तन
यमुनातट मात बिसूरती
हा निष्ठुर यह जगतठिकाना
इस ठौर नहीं ठियूँगा मैं
भगीरथी के कूलकिनारे
सगरपुत्र पहचानते
अस्थिपर्वत मुक्तिअभिलाषी
यज्ञ – अश्व रहूँगा मैं
सुमेरुमणि मैं कविमाल का
मुझे न छूती कोई गणना
कहते रहो मैं सुनता हूँ
अंतिम शब्द कहूँगा मैं
सबके अपने-अपने सूरज
और अपनी-अपनी परभात
निशामतवारी तू यहीं ठहर
अपने आप जलूँगा मैं
उठा लो अपनी गंगाजली . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२