सुन सैनिक प्यारे
ऐ रणबांकुरे सपूत हमारे!
ऐ वीर बहादुर सैनिक प्यारे!
अब तुझको तेरा देश पुकारे, अब तुझको तेरा वतन पुकारे।
एक मांँ कह रही यह तुझसे बेटा।
अब नहीं है तुझ पर दूध का कर्ज।
तू निभा वफा से वतन का फर्ज।
हम भी हाथों में ले लेंगे बंदूक।
अगर करेगा तू हम से अर्ज।
ऐ वीर बहादुर बेटे प्यारे।
अब तुझको तेरा देश पुकारे, अब तुझको तेरा वतन पुकारे।
कर देंगे खट्टे दुश्मन के दांत।
न रहेंगे उसके मुंह में दांत न पेट में आंत।
उसको मुंह की खानी होगी।
युद्ध में पीठ उसे दिखानी होगी।
उसे नाक चने चबवाएंगे।
दिन में तारे दिखाएंगे।
दुश्मन को धूल चटानी है।
छठी के दूध की याद दिलानी है।
वह दुम को दबाकर भाग लेगा ।
अपने घर जाकर ही दम लेगा।
फिर कभी दगा की न सोचेगा।
पीछे से छुरा न घोंपेगा।
गद्दारी से अपनी आएगा बाज।
बेटा हमें है तेरे बाहुबल पर नाज।
तू दे दे हमें बस एक ही आवाज।
उसके दम पर दौड़े चले आएंगे।
मांँ, बहन, पत्नी, बेटी का रूप त्याग
देश के सच्चे सिपाही बन जाएंगे।
कंधे से कंधा मिलाएंगे।
तेरा पूरा साथ निभाएंगे।
दुश्मन के छक्के छुड़ाएंगे।
दूर – दूर तक तिरंगे का परचम लहराएंगे।
हम यह करके ही दिखलाएंगे।
—–रंजना माथुर दिनांक 07/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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