सुखांत
सिमट के बैठी है वो एकांत में
एक आस है मिलेगा वो एकांत में
पंछियों का कलरव कह रहा है
कहानी ख़तम नहीं होगी दुखांत में
कोपले फूट रही है आम महुआ के बागान में
मंजर झूम कर कहती है मीठा चखाऊंगी सुखांत में
~ सिद्धार्थ
सिमट के बैठी है वो एकांत में
एक आस है मिलेगा वो एकांत में
पंछियों का कलरव कह रहा है
कहानी ख़तम नहीं होगी दुखांत में
कोपले फूट रही है आम महुआ के बागान में
मंजर झूम कर कहती है मीठा चखाऊंगी सुखांत में
~ सिद्धार्थ