सुंदर नारी लगती प्यारी
सुन्दर नारी लगती प्यारी
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प्यारी आँखे भोली सूरत
रूप लावण्य की वो मूरत
नैन कटोरे नशीले ज़ाम
मय के प्याले है नहीं आम
सुन्दर नारी लगती प्यारी
जौबन छाया है अति भारी
देखे जो देखता रह जाए
होशोहवास खोता है जाए
रूप यौवन की वो पटारी
सुंदरता की खिली क्यारी
अंग जैसे फुर्सत में तराशे
पक्षी जैसे नीर के प्यासे
मनमोहिनी है मदमोहक
जहाँ जाए बिखेरे रौनक
आँखें जैसे ओज कटारी
मासूमियत भरी हैं नारी
नजरों से करती हैं बातें
चाँदनी भरी कर दें रातें
फ़लक से उतरा हैं चाँद
फ़ीका लगे नभ का चाँद
मूक मौन हो रूप निहारे
मन अन्दर हैं रूप उतारें
जीव जन्तु प्यार दिखायें
जैसे अपना हक जतायें
धनदौलत की कमी नहीं
अहं नाम की चीज नहीं
मीठी बोली मधुरिम बातें
चाँद सितारों से करें बातें
देखा उसे रहे नहीं बाकी
दिल करे पाता रहूँ झांकी
नज़र कहीं है लग ना जाए
मस्तक आभा है बढ़ जाए
ईश्वर ने रंग भाग चढ़ाए
कुल मर्यादा मान बढ़ाए
परियों की जैसे शहजादी
सुखविंद्र है दर्शन का आदि
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