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12 Jul 2024 · 1 min read

सुंदरी सवैया

सुंदरी सवैया

तुम मीत बने जब से प्रिय रे हर ओर तुम्हीं मुझको दिखते हो।
यह प्रेम पवित्र सदा मन मोहत दिव्य धरोहर सा लगते हो।
तुम पावन धाम विराट महान सुजान दयालु सदा रहते हो।
प्रिय धन्य उदार विशाल मना शिव सत्य सुकृत्य किया करते हो।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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