सीखता रहा
सीखता रहा
ताउम्र
सीखता रहा इंसान
बहुत कुछ
सिखाया इसे
विकट परिस्थितियों ने
अपनों के दिए
जख्मों ने
जीवन में खाईं
ठोकरों ने
पीठ पर हुए वारों ने
बेवफाओं की
बेवफाई ने
इस तरह ताउम्र
सीखता रहा इंसान
वो सबक
जो नहीं सिखाए
किसी शिक्षण संस्थान ने
-विनोद सिल्ला©