सिफारिश
हसरतो, अरमां पर यूं पानी तो ना फेर कर जाओ
सिफ़ारिश करू खुदा से इश्क़ रूहानी कर जाओ
उदासी भरा ये आलम, क़रीब आ के मिटा दो ना
बे-शूमार चाहत को समझकर रवानी कर जाओ
बरशो की दूरियां जो हम दोनों के दरमियां है उस
इश्क की पहेली को सुलझा आसानी कर जाओ
इश्क जरा तुम समझो जरा हम समझे और उस
इश्क को महसूस करो ना ही नादानी कर जाओ
नजरो की सिफारिशों से कुछ शरारत कर जाओ
जैसा था वैसा हूं अब दिल को सुहानी कर जाओ
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)