साहिलों पर …. (लघु रचना )
साहिलों पर …. (लघु रचना )
गुफ़्तगू
बेआवाज़ हुई
अफ़लाक से बरसात हुई
तारीकियों में शोर हुआ
सन्नाटे ने दम तोड़ा
तड़प गयी इक मौज़
बह्र-ए-सुकूत में
और
डूब गए सफ़ीने
अहसासों के
लबों के
साहिलों पर
(अफ़लाक=आसमानों )
सुशील सरना 27424