सास ,बहू और शो
‘ओब्जोवेशन’ जिसे हिंदी शब्दकोश के अनुसार “अवलोकन करना” कहते हैं। यह एक विशेष गुण हैं, जो कि हर एक मनुष्य में पाया जाता है। बस फर्क सिर्फ इतना है, कि कोई इस पर गौर नहीं फरमाता , तो कई लोग इस गुण को ताकत के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इस गुण की यह विशेषता है, कि ऑब्जर्वेशन करने के लिए किसी भी घटना का आपके साथ घटित होना आवश्यक नहीं है। बस वहा आपका उपस्थित होना और उस बात पर पूर्ण रुप से औपचारिक होकर सोचना। ऑब्जरवेशन के गुण को एक्टिव करने के लिए आदमी को पूर्ण रूप से औपचारिकता को अपने स्वभाव में आवश्यक रूप से लाना पड़ता है। यह कहना आज मुझे इसलिए उचित लगा। क्योंकि आज का मेरा लेख ऑब्जरवेशन की देन है। सास, बहू और शो इन तीनों शब्दों में कोई अंतर नहीं है। पता है कैसे? तो देखिए सास और बहू जो कि ऐसी कलाकार होती है, जो आपस में एक दूसरे के सामने अपनी अपनी कला का प्रदर्शन करती रहती हैं। अर्थात एक दूसरे को नाटक दिखाती रहती है। सबसे पते की बात तो यह है, कि उनको उर्जा भी नाटक ही देता है। नाटक अर्थात टीवी शो / सीरियल , टीवी शो को देख देख कर एक दूसरे के ऊपर अपनी कला का प्रहार करती रहती है। और यकीन मानिए आजकल के टीवी शो की फिक्स कहानी होती है, जिसमें एक बड़े परिवार होता है। इसमें ना जाने कितने पापा रहते हैं ,बड़े पापा ,छोटे पापा, बीच वाले पापा, असली पापा और न जाने उस परिवार में सांस की सांस और पापा के भी पापा एक ही साथ परिवार में साथ रहते हैं। बस उन सब शो में इतना अंतर होता है। उन परिवारों का मुखिया अर्थात कंट्रोल करने वाला अलग-अलग होता है। किसी में बड़ी मूछों वाले दादाजी होते हैं , जिनसे सबकी फटती है। तो किसी में सास की से भी बड़ी सास होती हैं, जिन से सब की गीली होती है। इतने पात्र होने के बाद भी इनका पूरा ध्यान सास और बहू की ओर ही केंद्रित होता है। इन शो में सास और बहू के झगड़े को यूक्रेन व रसिया के झगड़े से भी बड़ा और भीषण दिखाने का प्रयास किया जाता है। और न जाने इफेक्ट के नाम पर कितनी टोन लगाई जाती है। कभी-कभी लगता है, उनको सुनकर खुद शिवजी तांडव करने धरती लोग ना आ जाए। और यकीन मानिए, यही सब देखकर सास समझती है, बहु तेज हैं, और बहु समझती है, सांस तेज है। उनकी तेजी तेजी के चक्कर में फसता बिचारा आदमी है।आपको तो पता ही है,सास और बहू जंग तो आजकल हर घर घर प्रसंग बन गया हैं। घर में सास और बहू की नोक झोंक उनके दिन में काम के बाद की एवरेटाइज होता है। उनके एवरेटाइज के बीच जो भी आता है, वह उनके झगड़ो में ब्लैक हॉल की भांति समा जाता है। उनके झगड़े कल्पनाओं में और पढ़ने में ही आदमी के लिए अच्छे है। ओम नमः शिवाय 🙏
हर बार की तरह इस बार भी आपके सुझावों को तहे दिल से स्वागत करते हैं।