सावन (गीतिका)
सावन (गीतिका)
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बच्चों के मन भाते सावन
रेनी – डे को लाते सावन (1)
कांवरियों को शीश झुकाकर
श्रद्धा सहित बुलाते सावन (2)
प्यासी धरती की भीतर से
आकर प्यास बुझाते सावन(3)
काले अंधियारे दिन होते
सूरज नहीं दिखाते सावन(4)
रिमझिम बारिश में भंडारे
रोजाना खिलवाते सावन (5)
कच्चे घर जिनके हैं उनको
आकर बहुत डराते सावन(6)
भेदभाव से नहीं बरसते
समदर्शी कहलाते सावन(7)
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर 99976 15451