सावन की बारिश
सावन की बारिश (त्रिभंगी छंद)
सावन की बारिश,मन की ख्वाहिश,उर-आँगन को,तृप्त करो।
अहसास कराओ,दिल बहलाओ,मेरे प्यारे,याद करो।
बारिश की बूँदों,से तन भींगे,मन अति हर्षित,हो जाये।
सावन की रातें,प्रियमय बातेँ,मधुर मास तब,छा जाये।
बादल का गर्जन,आसमान से,डर लगता है,प्यार बिना।
आओ हे प्रियतम,मेरे मोहन,यह मन व्याकुल,गमगीना।
हिन्दी काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।