साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये…
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२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२
साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये
अब मेरी जमीन, है गुम यहाँ , सरहद तलाशिये
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एक जहर , पीने का माहिर , सुकरात चल दिया
जो थक गए चांट खून उन्ही को शहद तलाशिये
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संभव नहीं उठाना पाँव को अब धरातल से
कलयुग में , सियासी अमन के, अंगद तलाशिये
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मेहनतकश ने नुमाइशी बनाया जो ख़ास
ये मन्दिर ढके या मस्जिद ढके गुम्बद तलाशिये
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लिए परचम जिहादी घूमता चारों तरफ यहाँ
आजादी के क्या माने वहां , मकसद तलाशिये
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712
4.4.24.