साम्राज्य
ऐसा नहीं है कि
अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं
बल्कि वे पूरी तरह स्वछंद हैं।
चौकी थाने तक बिक रहे हैं
जनता त्रस्त है अपराधी मस्त हैं।
सबका अपना साम्राज्य है,
यही तो अपना रामराज्य है।
✒सुधीर श्रीवास्तव
ऐसा नहीं है कि
अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं
बल्कि वे पूरी तरह स्वछंद हैं।
चौकी थाने तक बिक रहे हैं
जनता त्रस्त है अपराधी मस्त हैं।
सबका अपना साम्राज्य है,
यही तो अपना रामराज्य है।
✒सुधीर श्रीवास्तव