*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
25/09/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
अत्याचार।
जब कोई करे,
मन में होता प्रहार।।
सारा ज्ञान होता तिरोहित।
प्रतिशोध का ज्वालामुखी फटता,
रणांगन में बिखरता गर्म शोणित।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
अवतार।
भूमिका विस्तार।।
होते अनुकरणीय।
हर युगांतर नमनीय।।
अब भी प्रतीक्षा हो रही है।
मानवता फिर औंधे मुँह सो रही है।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
प्रतिकार।
जब कभी होते।
मानवता रोती रही,
क्रूरता शूल भाले चुभोते।।
काल समापन ऐसा ही हुआ है,
शून्य में समा जाता है विराट संसार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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