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18 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
18/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

अधिकता।
घातक होती है,
खोती है नैसर्गिकता।।
एक दूरी निश्चित नियम।
अवश्यंभावी हो संबंधों में तब,
नहीं बहकते बढ़ते हुए कदम।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

निकटता।
लाती विषमता।।
हर बात का संज्ञान।
मूर्खता का करते आह्वान।।
फिर नैतिकताओं की देते बलि,
हँसता ठहाके लगा के किल्विष कलि।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

अनित्यता।
सत्य का दर्शन।
जब करती हैं आँखें,
भूचाल महसूस हो तन।।
पछतावा का अनुभव करता,
सन्यास की ओर होने लगे घनिष्ठता।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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