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14 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
14/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

जलता है।
सभी देखते हैं,
कौन हाथ मलता है।।
मनाते खुशियाँ आज लोग।
कहते हैं रावण जल गया है,
मन पर वह बैठा है स्वस्थ निरोग।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

छलता है।
ऐसे चलता है।।
जैसे कुछ हुआ नहीं।
होता प्रकट जब भी कहीं।।
वही मंद सम्मोहित सी मुस्कान।
कर जाता है वह मुझको यूँ हैरान।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

चलता है।
दोस्ती में ये सब।
लूट गया वह मुझे,
कहता है दिलेरी से अब।।
अभी तक नहीं पहचाना अरे,
तू भी रोज हजारों रंग बदलता है।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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