*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
12/10/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
वीतरागी।
बनना चाहता
भावना है मेरी जागी।।
विचारों में हुआ अंकुरण।
यह विकसित भी होगा अवश्य,
कदापि नहीं रोक सकते अश्रुकण।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
सर्व त्यागी।
होते प्रतिभागी।।
परिनिर्वाण का सेतु।
आता है दर्शनार्थ अहेतु।।
परमशान्ति को उपलब्ध होते।
याद कर सारे पुर परिजन रोते।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
हतभागी।
मत बन सखा।
कदाचित खूब तूने,
विषय रस को ही है चखा।।
करुणा अहिंसा से नाता जो तोड़ा,
अब भी समय है बन जा अनुरागी।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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