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7 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
07/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

नजराना।
दिया है तुमको,
इसे दिल से लगाना।।
जब कभी मेरी याद आये।
दो चार आँसू बहा दिया करना,
शायद तुम्हें ऐ साथी चैन मिल जाये।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

अनजाना।
यह अफसाना।।
मेरी आत्मकथा में है।
अपूरणीय सी व्यथा में है।।
जब कभी यादों को पलटता हूँ।
तुम्हारा नाम लिखकर सिसकता हूँ।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

अपनाना।
बेहद जरूरी,
हो गया अब मुझको,
बन चुकी मेरी मजबूरी।।
मैँ फँस चुका मित्र चक्रव्यूह में,
कहती है कि मैं हूँ न मत घबराना।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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