*साथ निभाना साथिया*
वो कहते हैं हमसे
चाहे दूर कितना रहो सबसे
लेकिन बस इतना रखना याद
साथ निभाना साथिया।
कांटो का साथ हो
या फूलों का साथ हो
बहारों की रुत हो
या पतझड़ का हो मौसम
लेकिन बस इतना रखना याद
साथ निभाना साथिया।
दोस्तों का साथ हो
या अकेलेपन का हो एहसास
भरी महफिल में रहो मुस्कुराती
गुमसुम सी रहो या रहो उदास
लेकिन बस इतना रखना याद
साथ निभाना साथिया।
आदत इस कदर
तुम्हारी है हमको लगी
हमारी ही खुद नज़र हमको लगी
हमारी इस बेरुखी पर ना तुम कभी
हमसे छुड़ाना ना अपना साथ
लेकिन बस इतना रखना यार
साथ निभाना साथिया।
हरमिंदर कौर, अमरोहा
@@मौलिक स्वरचित रचना