साथी
गीत
देख सनम इक बार,बैठ संग स्नेह से निहार साथी।
नीलम नैन बस छवि तुम्हारी,प्रीत की मनुहार साथी ||
प्रीत भाष सुंदर सुभाष,हो राग ज्यूं मल्हार साथी।
तुम साज और मैं सरगम,खिले बासंती बयार साथी।।
सुरभित प्रीत की मधुर सुगंध,जैसे हर पल त्योहार साथी।
सु-अंलकार से रचूं बंध,प्रेम गीत गूंजे,बन झंकार साथी।।
हो रोम रोम मृदु स्नेहिल कंपन, झंकृत हों हृदय के तार साथी।
गोपाल मग्न हों यमुना तट पर,किया मदन मोहन श्रृंगार साथी।।
है तप्त वेदना से जीवन, कान्हा तुम नीलम संसार साथी।
अभिशप्त जीवन संवारो तुम, नीलम जीवन संचार साथी।
नीलम शर्मा ✍️