***”साथी हाथ बढ़ाना “***
।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
*** साथी हाथ बढ़ाना ***
नेहा अपने पति के साथ रोज सुबह सबेरे टहलने जाती थी आज उन्होंने सोचा कुछ लंबी दूरी तय कर टहलते है लेकिन कुछ दूर चलने के बाद सामने ही सड़क में एक बड़ा ब्रेकर आ गया जो चलते समय दिखाई नहीं दिया और नेहा का संतुलन बिगड़ गया गिरते समय दोनों हाथों से अपने आपको संभालते हुए बच गई थी लेकिन दोनों हाथ की कलाईयों में शरीर का पूरा सम्हालते हुए भार हो जाने से दर्द होने लगा ।
घर आते ही हाथ की कलाईयों और दूसरे हाथ की कोहनी पर सूजन आ गया तुरन्त डॉक्टर के पास गई तो पर पता चला कि दोनों हाथों में हल्का सा फ्रेक्चर हो गया है और प्लास्टर चढ़ा दिया गया था ।
नेहा अब घर के कार्यों खुद के कामों को करने के लिए असमर्थ हो गई मन ही मन सोचने लगी काश ! ! आज सैर पर टहलने नही जाती तो मेरे हाथ अभी ठीक रहते और घर के सभी कार्य अपने इन्हीं हाथो से ही करती ।
नेहा आंगन बाड़ी की सचिव है और घर के अलावा बहुत से कार्यों की ज़िम्मेदारी भी सौपी गई है लेकिन अब कुछ दिनों के लिए सभी कार्य निरस्त कर दिये थे।
नेहा के बेटे शहर में पढाई कर रहे थे जैसे ही माँ के बारे में सुना तुरन्त ही मिलने चले आये लेकिन माँ की देखभाल के अलावा घर के सारे कार्यों को एक बेटी ही अच्छी तरह से सम्हाल सकती है बेटी न होने का एहसास आज महसूस हो रहा था लेकिन जब ईश्वर कष्ट देता है तो उसका निवारण हेतु भी रास्ता निकालता है ।
नेहा के घर में किराये से रहने वाली महिला ने भरपूर सहयोग दिया और माँ दुर्गा की असीम कृपा से एक कन्या दिव्या ने सहारा के रूप में घर के सारे काम को सम्हालती थी ।
नेहा के पति राजकुमार ने भी इन कठिन परिस्थतियों में काफी सहयोग किया ।घर के सभी सदस्यों ने मिलकर पूरी घर की जिम्मेदारी सम्हाल ली जैसे तैसे एक महिने बाद हाथों का प्लास्टर खुल गया था लेकिन अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत थी फीजियो थेरैपी से हाथ कुछ हद तक ठीक होने लगा था।
धीरे -धीरे सारी स्थिति अब सामान्य सी होने लगी लेकिन उन दिनों की याद करने से मन में एक सिहरन सी हो जाती अब कहीं भी जाती तो थोड़ी सी सावधानी रखती है।
दोनों हाथों के बिना कुछ भी कार्य करना असंभव हो जाता है
खुद को सहारे के बिना असहाय महसूस होने लगता है लेकिन जीवन साथी , बच्चों व परिवार जनों ,पड़ोसियों का साथ एवं हाथ बंटाने से ही कठिन परिस्थितियों में भी जीवन आसानी से खुशियों भरा व्यतीत हो जाता है …. हाथ बंटाने से अपार शक्ति मिलती है प्रेम विश्वास भी बना रहता है ।
*साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना *
*** शशिकला व्यास ***
#* मध्यप्रदेश भोपाल #*
स्वरचित मौलिक रचना ,??