साजिशन दुश्मन की हर बात मान लेता है
साजिशन दुश्मन की हर बात मान लेता है
पहले सुलह करता है वो,फिर जान लेता है
अपने डर को जाहिर होने से बचा ऐ दोस्त
वो चेहरे के हाओ भाओ पहचान लेता है
मुफलिसों को भी नही बख्शता जालिम
अमीर ऐ शहर हमसे भी दान लेता है
खुश लोग लिया करते हैं ठेका जमाने का
जिम्मेदारी क्या कोई परेशान लेता है
देता है जर्रा भर,वो भी एहसान जताकर
लेता है तो कतरा कतरा छान लेता है
मारूफ आलम