” साजन की याद “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
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मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए
मेरे आंसू केवल बहते हैं !
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
बीते दिन और
बीती रातें ,
हम भूले नहीं
अपनी बातें !
बीते दिन और
बीती रातें ,
हम भूले नहीं
अपनी बातें !!
अब जीना भी दुशवार हुआ ,
तुम हमको जाकर भूल गए !
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
सावन नैनों
से बहते हैं ,
मुझे रैन बिरह
के लगते हैं !
सावन नैनों
से बहते हैं ,
मुझे रेन बिरह
के लगते हैं !!
बिरह व्यथा मैं किस से कहूँ ?
तुम हमको जाकर भूल गए !!
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए !
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए !
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
ये चांदनी रात
बनी सौतन ,
तेरे बिन
मुरझाया यौवन !
ये चांदनी रात
बनी सौतन ,
तेरे बिन
मुरझाया यौवन !!
यह मिलन रात की आयी घडी !
तुम हमको जाकर भूल गए !!
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए !
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
मुझे भूल गए ,मुझे भूल गए !
मेरे आंसू केवल बहते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड