सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
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सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
मौसम अनकूल भी तुम्ही रखना
रोड़े मेरी राह में तुमने दिए हैं
हाथ मेरे फूल भी तुम्ही रखना
सब से मिला खुश हो हो कर याद करो
सीने मेरे शूल भी तुम्ही रखना
मर्यादा का ये उलझा धागा
माथे में धूल भी तुम्ही रखना
मन के घावों पर पट्टी मरहम
जी भर प्रतिकूल भी तुम्ही रखना
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)