*** सागर की लहरें……..!!! ***
*** न जाने ओ कौन-सी बात है ,
जो सागर की लहरें…
मुझसे कुछ कह जाती है..!
धीरे-धीरे कुछ पल में….
मेरे पांव तल से रेत सरक जाती है..!!
कभी धूप , कभी छांव की परिदृश्य मेरे मन में…
सहसा अनगिनत सवाल कर जाती है..!
कुछ सरारती हवाओं के झोंके….
मेरे मन को कुछ झुंझला जाती है….!!
दूर क्षितिज पर नजर डाले ,
मन की कुछ आश मेरे….
परिणामी भ्रम में , यूं ही उलझ जाती है..!
टिमटिमाते कुछ किरणें , सूरज की…
कुछ अनसुलझे सवालों को सुलझाने ,
पास अपने बुलाते हैं…..!!
यूं ही ये सिलसिला न जाने…
कितनी बार पुनरावृत्त हो जाती है….!
न जाने ओ कौन-सी बात है ,
जो सागर की लहरें…
मुझसे कुछ कह जाती है…!!
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ. ग. )
२८ / १० / २०२२