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25 Jan 2022 · 5 min read

साईबर अपराध के जंजाल में फंसते झारखण्डी युवा

झारखंड का जामताड़ा और देवघर जिले साइबर अपराध के मामले में बदनाम है। साइबर क्राइम के मामले में झारखड का आदिवासी बहुल इलाका जामताड़ा देश का नंबर वन जिला बन चुका है। देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा की लोकेशन आती है। यहा के हैकर्स पूरे देश में चुनौती बने हुए हैं। यहां के अधिकांश घरों के नौजवान इसी धंधे में लिप्त है।जामताड़ा ओर देवघर जिले के जैसे गांव और कस्बे अब पूरे झारखण्ड के साथ साथ अन्य राज्यों में भी फैलते जा रहे हैं। आए दिनों अखबार के पृष्ठों पर यह खबर अक्सर देखने को मिल जाती है कि फलाने शहर में इतने साईबर अपराधी गिरफ्तार हुए।

हम जितनी तेजी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं , ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या बढ़ती जा रही है। जिस तेजी से टेक्नोलॉजी बढ़ी है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर इंटरनेट के ज़रिये मनुष्य का पहुंच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है।
इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ – साथ सोशल मीडिया और साइबर अपराध भी बढ़ रहे है ।

हाइटेक अपराध के मामले में सबसे आगे रहने वाले झारखंड की साक्षरता दर 2011 की जनगणना के अनुसार केवल 66.41 फीसदी है। जामताड़ा इससे भी नीचे 63.31 फीसदी पर है। कंप्यूटर लिटरेसी के मामले में राज्य का नंबर 24 वां है। बावजूद इसके साइबर क्राइम के हाईटेक जालसाजों की फौज यहां पैदा हो रही है। प्रदेश के जामताड़ा जिले के करमाटांड़ और नारायणपुर गांव से देश के 80 फीसदी साइबर क्राइम के तार जुड़े होते हैं।
स्थिति यह है कि जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह, साहिबगंज और देवघर में हर दूसरे-तीसरे दिन किसी न किसी राज्य की पुलिस एटीएम हैकरों की तलाश में छापेमारी करने पहुंच जाती है। अब तक 22 राज्यों की पुलिस यहां छापे मार चुकी है। गुजरात, महाराष्ट्र, अंडमान निकोबार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओड़िशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, दादर एवं नगर हवेली, पंजाब, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों की पुलिस की टीमें यहां दौड़ती रहती हैं।

लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर क्यों आजकल के युवा साईबर क्राइम करने को मजबूर होते जा रहे हैं, जवाब एक ही मिलेगा वह है बेरोज़गारी। यह युवा अपना प्रतिभा बिखेरने से पहले ही साईबर अपराध के चंगुल में फंसते चले जाते हैं, और अपना भविष्य अंधकारमय कर लेते हैं।

हाल ही में एडीआर ने अपना सर्वे दिया, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ( एडीआर ) की सर्वे को मानें तो झारखंड के लिए इस समय सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है। बेरोजगारी को लेकर झारखंड में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस ( एनएसएसओ ) के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं। एनएसएसओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साढ़े तीन करोड़ आबादी वाले इस राज्य में 50 फीसदी लोग तो खेती के साथ, माइनिंग, सर्विस सेक्टर, निर्माण व वित्तीय कार्यों में लगे हैं। जबकि बाकी लोग बेरोजगारी की जिंदगी कट रहे हैं। राज्य में लगभग 39 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं , जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर लगभग 30 प्रतिशत है। झारखंड में 43 नियोजन कार्यालय हैं। इनमें लगभग 7.31 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। जिस कारण बेरोजगार युवा बहुत आसानी से साईबर क्राइम करने की ओर बढ़ चले जाते हैं।

जामताड़ा के करमाटांड़ में खुलेआम ठगी की भी पाठशाला चलती है। यहां सात दिनों के शार्ट टर्म कोर्स से लेकर एक महीने तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। देश के कई शहरों से गुमराह युवा यहां पहुंचकर साइबर क्राइम की टे्रनिंग ले रहे हैं। इन्हें कम समय में ज्यादा पैसे कमाने का लालच दिया जाता है। इलाके के 25 बड़े ट्रेनरों को पुलिस चिह्नित कर चुकी है।

साइबर क्राइम से करमाटांड़ की काया पलट हो गई। जामताड़ा-करमाटांड़ सड़क से करीब दो किलोमीटर अंदर बसे इन गांवों में दो साल पहले ज्यादातर घर मिट्टी के थे, लेकिन आज झोपड़ियों ने आलीशान बंगलों का रूप ले लिया है। घर के अंदर तमाम सुख-सुविधाओं की व्यवस्था है। सोने की मोटी चेन, ब्रासलेट और अंगूठी इनकी संपन्नता की कहानी कहते हैं। घरों के हर कमरे में एसी लगे हैं। नई गाड़ियां दौड़ रही हैं। झिलुवा गांव में तो एक घर में दरवाजों में सेंसर भी लगे हुए हैं। रिमोट कंट्रोल से दरवाजे खुलते हैं। घरों में ये लोग लाखों रुपए नगद रखते हैं। कई जगह सुरंग भी बना ली गई हैं। घर के अंदर और बाहर सीसीटीवी का जाल है। अमूमन हर घर में लेट नाइट पार्टियां चलती हैं।

कैसे हुई ऑनलाइन ठगी करने को शुरुआत
पहले यह लोग ट्रेनों में नशाखुरानी गिरोह से जुड़े हुवे थे। धीरे धीरे यही लोग साइबर क्राइम के मास्टरमाइंड बन चुके हैं। जामताड़ा जिले के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के युवक जो कल तक ट्रेनों में यात्रियों को नशा खिलाकर लूटते थे, आज साइबर क्राइम के सरगना बन चुके हैं।

साइबर क्राइम से जुड़े लोगों की उम्र दस से चालीस वर्ष तक के बीच है। कई मामले ऐसे भी सुनने में आए हैं कि ये युवक देहेज लेने के बदले उल्टे लड़की वालों को ही दहेज देकर विवाह कर रहे हैं। इससे जुड़े लोग शादी विवाह तेज तरार लड़कियों से करते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि इस धंधे में उनकी पत्नी का भी सहयोग मिल सके।
यह लेडी गैंग लोगों को अपनी फर्राटेदार अंग्रेजी और मधुर आवाज के जाल में फंसा उनके अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं।

कैसे देते हैं घटना को अंजाम
2013 से 2015 के बीच करमाटांड़ में क्राइम के ट्रेंड में काफी बदलाव हुआ। 2013 में यह नेटवर्क सिर्फ एटीएम का नंबर और पिन जानकर कुछ साइटों से मोबाइल रिचार्ज कराने तक सीमित था।
2014 में गैंग के लोगों ने एटीएम के डिटेल्स लेकर ऑनलाइन खरीदारी शुरू की। 2015 में ई-मेल एड्रेस पर लगातार मेल भेज कर लोगों को फांसने का काम शुरू हुआ। इसी साल यूपीआई जैसे फोन पे- गूगल पे को हैक करने के भी कुछ मामले सामने आए। इसमें अपराधी लोगों को पैसे की लालच देकर, उसको पैसे सेंड करने के बजाय रिक्वेस्ट सेंड कर देते हैं। और सीधे साधे लोगों को लगता है कि यह उसके खाते में पैसे आने का विकल्प है और वह ठगी का शिकार बन जाते हैं।

इनदिनों डेटिंग साइट्स के माध्यम से भी साइबर अपराधी अपना शिकार तलाशते हैं। अनजान लोगों से बात करने शौक के चलते युवा इन डेटिंग साइट्स की तरफ आकर्षित होते हैं। सुरक्षा के कमजोर उपायों के चलते मोबाइल के एक क्लिक से निजी जानकारी जैसे नाम,नंबर और तस्वीरों को आसानी से कोई भी देख सकता है।

साइबर क्राईम से खुद को कैसे बचाए
• कभी भी किसी ऐसी फ्री वाईफाई का इस्तेमाल न करें जो पासवर्ड से सुरक्षित न हो।
• कभी भी अपने क्रेडिट कार्ड , डेबिट कार्ड या बैंक अकाउंट की जानकारी किसी अज्ञात वेबसाइट पर न दें।
• एक अच्छे एंटीवायरस सॉफ्टवेयर, फायरवॉल सुरक्षा का उपयोग करें।
• किसी भी अनजान वेबसाइट से कुछ भी डाउनलोड ना करें जैसे एप्स, गेम्स, मूवीज, सॉफ्टवेयर्स आदि।
• अपने व्यक्तिगत विवरणों को कभी भी अज्ञात स्रोतों से ऑनलाइन साझा न करें।
• कभी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए अज्ञात ईमेल को ना खोलें और उनमे मौजूद कुछ भी डाउनलोड ना करें ।

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देवेन्द्र कुमार नयन ( Devendra Kumar Nayan)
सिविल अभियंता सह युवा लेखक
देवघर , झारखण्ड

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 173 Views
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