सांवलो सलोनो सावन
कविता – – सांवलो सलोनो सावन
विधा-वर्ण पिरामिड
ओ
कारे
बदरा
बरसो रे
आयो सावन
उड़े लहरिया
गोरी झूले झूलना।
छा
गये
बादल
काले काले
पी के दरस
को तरस गए
अब नैन हमारे।
आ
गया
मौसम
अब देखो
हरियाली का
नाचे मन मोर
किसी मतवाली का।
–रंजना माथुर दिनांक 27/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
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