* अधिकार जिसको भी मिला, मद से वही नर भर गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
* अधिकार जिसको भी मिला, मद से वही नर भर गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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1
अधिकार जिसके पास था, शोषण सुना वह कर गया
जिंदा रहा बस शक्तिशाली, और दुर्बल मर गया
2
शोषण हमेशा सेठ जी के हाथ से होता नहीं
अधिकार जिसको भी मिला, मद से वही नर भर गया
3
घर से गया अंतिम सफर पर, लोग यह कहने लगे
भटका हुआ था एक राही, आज अपने घर गया
4
गंगा नदी बहुमूल्य, भारत देश में पाई गई
जिसने छुआ अमृत-सा जल, प्राणी वही फिर तर गया
5
संसार का यह है नियम, जब से बना संसार है
सौ-सौ बरस जीकर यहॉं, हर एक अर्थी पर गया
6
कब कौन माया से बचा है, स्वर्ण मृग मारीच के
फॅंस ही गए भगवान, आकर काल मति को हर गया
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451