*** सवेरा ***
कल जब मै नींद से जागा
तो सूरज निकल चुका था
सौचा सवेरा हो गया
परन्तु आँखों के आगे
अब भी अंधेरा कायम था
लोगों से सुन रहा था कि
सूरज निकल आया
सवेरा हो गया है
मुझे भी आज पता चला कि
सूरज निकलने से सवेरा होता है
मेरी मासूम सक्ल देखकर
सूरज भी हंसता होगा कि
कैसा नादाँ है इसे यह भी
नहीं पता सवेरा कैसे होता है
मै सदियों से इसी तरह सवेरा
करता आया हूँ और लोग भी
मानने लगे है कि सूरज के
उगने से ही सवेरा होता है
मै नादाँ था एसलिए मैने सौचा
कि जब जागे तभी सवेरा होता है
लेकिन मै गलत था कभी कभी
सोये सोये भी सवेरा होता है
मैने आज है जाना ।।
?मधुप बैरागी