सवाल करना तो बनता है
रिश्ते औपचारिक हो कर ऐसे ही धीरे-धीरे मरते हैं,
आज हम संवेदनाएँ भी मैसेज से प्रकट करते हैं।
सोशल मीडिया पर अजीब-अजीब चैलेंज आ रहे हैं,
दंपत्ति की फ़ोटो डाल ‘कपल चैलेंज’ बता रहे हैं।
चैलेंज हैं शिक्षा, बेरोज़गारी, अर्थिक मंदी, नैतिक पतन,
जिनको हर वक्त पार्श्व में धकेलने का रहता है जतन।
कबूतर को बिल्ली देख आँख बंद करना सिखाया जाता है,
विडम्बना, वास्तविक चैलेंज से ध्यान बँटाया जाता है।
दीमक हमेशा उस लकड़ी को ही खाती है,
जो हरि नहीं बल्कि मुर्दा हो ज़ाती है।
जनचेतना आज मुर्दा व मृतप्राय होती जा रही है,
दीमक रूपी राजनेताओं की फ़ौज उसे खा रही है।
आज सचेतन हुई, ग़ुस्से और आक्रोश में जनता है,
संवेदनहीन प्रतिनिधी से सवाल करना तो बनता है।
खजान सिंह नैन