सर्वव्यापक
सर्वव्यापक
लोग
बोलते हैं तो
स्वार्थवश
बोलना छोड़ते हैं तो
स्वार्थवश
स्वार्थपरता
शह-मात
तिकड़मबाज़ी
षड़यंत्र
के अतिरिक्त
कहीं और कुछ है
तो मुझे बताना
ऊब गया हूँ
इन सबसे
चाहता हूँ निजात पाना
चाहता हूँ पार पाना
इन सबसे
लेकिन ये हैं
सर्वव्यापक
-विनोद सिल्ला©