*सर्वदा सबके लिए,सब भाँति सद्-व्यवहार हो (मुक्तक)*
सर्वदा सबके लिए,सब भाँति सद्-व्यवहार हो (मुक्तक)
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सर्वदा सबके लिए, सब भाँति सद्-व्यवहार हो
मित्रता के भाव का, चहुँ ओर शुभ विस्तार हो
रंग भाषा जाति मजहब, राष्ट्र सीमा से परे
यह धरा संपूर्ण अपना, एक ज्यों परिवार हो
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451