*सर्दी (कुंडलिया)*
सर्दी (कुंडलिया)
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सर्दी में सूरज चढ़ा ,लेकिन मद्धिम ताप
नभ से किरणें गिर रहीं ,ठंडी होतीं आप
ठंडी होतीं आप ,समय का खेल निराला
गर्मी में था सूर्य ,आग का पिघला प्याला
कहते रवि कविराय ,उतरती मानो वर्दी
छिन जाती है ऐंठ ,सूर्य को खाती सर्दी
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*रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा* ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
मोबाइल 99976 15451
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मद्धिम = धीमा ,मंद