*सर्दियों में सौ दवाई की दवाई धूप है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
सर्दियों में सौ दवाई की दवाई धूप है (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
सर्दियों में सौ दवाई की दवाई धूप है
सर्दियों में खुशनसीबों ने ही खाई धूप है
2
मूँगफलियाँ छीलकर, मस्ती में खाने का मजा
एक अद्भुत है कि जब, सर्दी में छाई धूप है
3
हीटरों को छोड़कर, बिल्डिंग से बाहर तो चलो
हर तरफ देखो तो कैसी खिलखिलाई धूप है
4
दर्द से घुटनों के, चढ़ना सीढ़ियों का बंद है
यह बुढ़ापे की सजा है, मिल न पाई धूप है
5
क्या गजब का आइडिया है, आपका भगवान जी
कॅंपकॅंपाती ठंड में, यह जो बनाई धूप है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451