सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
फिर इतिहास जी उठा नस्लों की बात आई
जो बात सुलझानी थी वो बात उलझाई क्यों
क्यों हंगामा हुआ क्यों असलहों की बात आई
खानदान बरबाद हुआ जिनपर लड़़ लड़़ कर
उन जमीनों उन जागीरों,फसलों की याद आई
मारूफ आलम