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17 Nov 2024 · 1 min read

सरसी छंद

चोपाई छंद गीत 16/16

क्या नारी का हाल बनाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

कैसे पढ़ाये लिखाये इनको।
लाड़ो से है पाला जिनको।।
डर का रहता इन पर साया।
बोलो कैसा युग है आया।।

घर से बाहर निकले कैसे।
बन्दे घूमे भेड़ियों जैसे ।।
जिस्म नोच है उनका खाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

हर पल है इक बेटी मरती।
हाथ किसी दानव के पड़ती।।
कलियों सी मसली है काया।
बोलो कैसा युग है आया।।

झुंड श्वान के हड्डी लपके ।
नारी तन पर ऐसे झपटे ।।
कैसी माँ ने इनको जाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

कोर्ट मुकदमे यूँ ही चलते।
अपराधी तो जाते बचते ।।
खेल कानून का अंधी माया।
बोलो कैसा युग है आया।।

शीघ्र फैसला होगा करना ।
नहीं पड़े नारी को मरना ।।
दर्द बहुत है अब तक पाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

साथ कुल्हाड़ी अब है रखनी।
टांग बीच से कर दो छटनी।।
तुम तो हो काली की छाया ।
बोलो कैसा युग है आया।।

मोमबती तो खूब जलाई ।
लाज गयी क्या कभी बचाई ।।
तुमको हर दिन ने चेताया।
बोलो कैसा युग है आया।।

और नहीं अब कुछ है सहना।
हिम्मत तो है अपना गहना ।।
दुष्टों ने अब दिल दहलाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

निर्णय इक दिन ओरत लेगी।
फिर वो बेटी नहीं जनेगी ।।
देवी का जो अंश मिटाया।
बोलो कैसा युग है आया।।

सीमा शर्मा

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