सरसी छंद
सरसी छंद
लौट चलूं में अपने बचपन,छोडूं सारे काज।
एक बार फिर दिल है चाहे,चल बन बच्चा आज।।
मस्ती में फिर जीवन बीते, अल्हड़ से हो खेल।
भूलूँ जग की सारी उलझन, खुशियों की हो रेल।।
बन के मन की रानी डोलूं, हो बस मेरा राज।
एक बार फिर दिल है चाहे,चल बन बच्चा आज।।
माँ से दस्सी पंजी मांगू, इमली लाऊँ ढेर।
सखियों के घर खेलूँ जाके,खूब लगाऊँ देर।।
दुनियां दारी से हो दूरी, मस्त मगन अंदाज
एक बार फिर दिल है चाहे,चल बन बच्चा आज।।
मैं मेरे की त्यागू चिंता, मानू सबको मित्र।
हृदय भाव हो निर्मल निश्छल, पावन सदा चरित्र।।
गीत प्रेम के मैं तो गाऊँ,छेड़ूँ कोई साज।
एक बार फिर दिल है चाहे,चल बन बच्चा आज।।
लाड़ लड़ाए मुझको सारे, पाऊं सबका प्यार।
परियों सी मैं इत उत डोलूं,उड़ के जाऊँ पार।।
इच्छा मेरी है कुछ न्यारी,कहते आये लाज ।
एक बार फिर दिल है चाहे,चल बन बच्चा आज।।
सीमा शर्मा