दिए ज़ख़्म काफ़ी यूँ हर बार आप ने
122 + 122 + 122 + 122
कई तीर मारे हैं सरकार आप ने
दिए ज़ख़्म काफ़ी यूँ हर बार आप ने
वफ़ा ख़ुश-दिली से निभाई कहूँ क्या
जिया छू लिया है मिरा यार आप ने
न थी जीत मुमकिन, रही जंग जारी
हमेशा किया यूँ पलटवार आप ने
हसीं थे न ग़मगीन, क़िस्से वफ़ा के
किया खूब यूँ व्यक्त आभार आप ने
यहाँ तिगनी का नाचते, नाच सब ही
लगाया है क्या खूब, दरबार आप ने