सरकारों के बाप
सरकारों के बाप
जब भी
बदलती है सरकार
बदल जाती हैं नीतियाँ
नई नीतियाँ
बनाती है सरकार
अपने बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
पुरानी नीतियाँ
जो थीं
पुरानी सरकार के
बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
छात्र-छात्राओं की पुस्तकें
हो जाते हैं शामिल
पाठ्यक्रम में
नई सरकारों के बाप
निकाल दिये जाते हैं
पाठ्यक्रम से
पुरानी सरकारों के बाप
राष्ट्रहित सदैव
रहता है उपेक्षित
-विनोद सिल्ला©