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2 Dec 2023 · 1 min read

सम वर्णिक छन्द ” कीर्ति “

( प्रस्तुति -2 )
112 112 112 2
जय कृष्ण मुकुंद मुरारे ।
प्रभु माधव नन्द दुलारे ।
जय श्याम यशोमति प्यारे ।
हरि भक्तन के रखवारे ।।
*** *** ***
घनश्याम हरे दुख हारी ।
जय मोहन हे वनवारी ।
मधुराधर शोभित भारी ।
जय भक्तन मंगलकारी ।।
*** *** ***
वनमाल विभूषित शोभे ।
सिर मोर पखा चित् लोभे ।
मधुसूदन नूपुर बाजे ।
मकराकृत कुण्डल साजे ।।
*** *** ***
करुणामय हैं हितकारी ।
जय चक्र सुदर्शन धारी ।
हरि द्वापर के अवतारी ।
मृदु श्याम कलेवर धारी ।
*** *** ***
प्रभु नित्य निरञ्जन स्वामी ।
सब के उर अन्तर – यामी ।
सुर रक्षक साँझ – सकारे ।
जय ‘ साधक ‘ के रखवारे ।।
🙏नमन मंच 🙏
** एस एस ए म्युजिक काव्य मंच **
#आयोजन संख्या- 429
#विषय – ” छन्द-आयोजन ”
#छन्द- सम वर्णिक छन्द ” कीर्ति ”
#सृजन-अवधि-
21-11 -23 ,मंगलवार,रात्रि 9 बजे से ,
24-11 -23, शुक्रवार,रात्रि 9 बजे तक।
#आयोजिका – आ०चन्दा प्रह्लादका जी।
आयोजन तिथि – 21- 11-2023
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
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( प्रस्तुति -3 )
112 112 112 2

जब भूल रहा अपना है
सब मेल झूठा सपना है.
जपना कहना सुन सोते
हर आदत में नपना है।

हर बात लगे सी जानी
सहना पल हो जब ठानी।
जब साथ मिले ले दूरी
यह आस दिखे ना पूरी।

जब बालक पास न आये
दे लालच मात बुलाये
सुत भी मुख फेर घूमे सा
बुत बन चुप देख चूमे सा।
स्वरचित -रेखा

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