समीक्षा कवि कमलेश चन्द्र मौर्य “मृदु”
आदरणीय कमलेश मृदु जी राष्ट्रवादी कवियों में प्रमुख हस्ताक्षर हैं ।उनकी कविता में राष्ट्रप्रेम के दर्शन होते हैं, साथ में एक वियोगी कवि की कविता का मर्म छुपा हुआ है। उनकी कविता सरल प्रवाह मय एवं सुंदर संदेश देती है। अपनी पत्नी वियोग के कारण उनका ह्रदय व्याकुल होकर कह उठता है।
“जाने कैसा किया है तुमने मेरे ऊपर जादू टोना।
अब तो साथ तुम्हारे जगना और तुम्हारे साथ ही सोना।
यो तो भीड़ बहुत रहती है मेरे घर की अंगनाई में,
लेकिन मुझे बहुत खलता है एक तुम्हारा साथ ना होना।”
एनआरसी और सी ए ए का समर्थन करते हुए कवि मोदी सरकार को 100 में से 100% नम्बर देना चाहता है।वह विरोधी झंझावातो को, विरोधी हवाओं को कहना चाहता है कि ,
“हवाएं पूछ कर हमसे चले मत। मगर गुलशन के फूलों को खलें मत।”
अगर गुलशन की हवाओं का रुख समाज विरोधी हुआ तो उनका विद्रोही मन कह उठता है,
“जो नदियां दे रही है धमकी हमें सैलाब की है ।
जो नदिया दे रही है धमकी विषैले आब की हैं ।
वो गर औकात से आगे बढ़ी,
तो रोकना आता हमें है।”
अंत में वे समझाते हुए अपनी कविता में कहते हैं कि,
यह गुलशन विभिन्नता में एकता का बाग है ।इसे इसी प्रकार सुरक्षित रहने दो।
देश में चल रही देश विरोधी गतिविधियों के लिए उनकी अंदर बहुत दर्द है और उनकी पीड़ा उनकी इन पंक्तियों में प्रकट होती है ।
“बुद्धि से कुछ मंद आज भी।
चंद लोग जयचंद आज भी।
कुछ टुकड़े पा रहे विदेशी,
वे करते छलछंद आज भी ।”
अपने श्रंगार की भावना को साझा करते हुए कहते हैं ।
“जो मिलन के दिन पास आते गये शब्द मधुरिम अनायास आते गये भावनाओं की कोयल चहकने लगी,
कल्पनाओं के मधुमास आते गए।”
अंत में अपनी भड़ास अपनी व्यथा पर डालते हुए कहते हैं।
” मैं दीपक की लौ था मुझे काजल बना दिया।
सागर था मैं तुमने बादल बना दिया।
अब मैं भटक रहा तुम्हारी दृष्टि की तरह ,
तेरी अदाओं ने हमें पागल बना दिया ।”
कवि का सौंदर्य बोध अत्यंत मार्मिक एवं कारुणिक है । शब्दों के सरल मेल ने उन्हें जीवन दे दिया है कविवर मृदु जी प्रखर राष्ट्रवादी कवि है और उनकी रचना धर्मिता का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। और आशा करता हूं कि भविष्य में भी उनकी लेखनी अनवरत गति करती रहेगी। साथ में उन्हें हिंदी रत्न मानद उपाधि से विभूषित होने हेतु मैं उनको बधाई देना चाहता हूं। कविवर मृदु जी को तुलसीदास स्मृति सम्मान इस बात का प्रतीक है कि उनकी रचनाएं घर घर में पठनीय है।लोकप्रिय हैं । धन्यवाद