समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में
समाज की समुन्द्र रूपी
अनन्त गहराई में
भूल गया है,स्वयं को इंसान
फंस चुका है धर्म-जात रूपी जाल में
थोपना चाहता है,स्वयं के ऊपर धर्म रूपी ठप्पा
उसी धर्म रूपी दुनिया में बन जाना चाहता सर्वश्रेष्ट
एक दूजा आदमी भी सपने देखता है
और वो भी बनना चाहता है सर्वश्रेष्ट
स्थापित करता है एक और मज़हब
अब मज़हब में हौड़ है सर्वश्रेष्ट होने की
भूपेंद्र रावत
29।03।2020