समरथ को नहीं दोष गोसाईं
गर आप रसूखदार हैं
पुलिस और प्रशासन पर आपकी पकड़ है
तो आप बलात्कार का लुत्फ उठा सकते हैं
गैंगरेप में भी हिस्सा ले सकते हैं
किसी की हिम्मत तक नहीं होगी आप पर उंगली उठाने की
गोस्वामी तुलसीदास तो बहुत पहले ही लिख गए हैं
समरथ को नहीं दोष गोसाईं
देश की जनता जनार्दन भी
बहुत आदरभाव देती है रसूखदारों को
रसूखदार बीच चौराहे किसी लड़की की इज़्ज़त से खेल सकता है
किसी को सरेआम गोली मार सकता है
तब भी जनता के यही भाव होंगे
जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं है
देश की पुलिस भी
रसूखदारों को सिर माथे बैठाती है
चाहें रसूखदार कितने ही जघन्य अपराध में क्यों न लिप्त हो
पुलिस खुद सबूत मिटाती है
कमज़ोर धाराएं लगा केस कमज़ोर करती है
कागज के टुकड़ों के बदले अपना जमीर बेच देती है
वकील और नेता तो शुरु से ही
यहाँ तक कि पूरा प्रशासन भी
रसूखदारों के साथ होता है
सब भली-भाँति जानते समझते हैं
समरथ को नहीं दोष गोसाईं।