समय
समय
शुभ समय भोर का,भजन करो जोर का,
जन्म मिला पुनः अब,जागकर सोचिए ।
रात है मृत्यु संकेत,निद्रा देवी गोद लेत,
जागते ही पुनर्जन्म, रोज रोज मानिए।
साधना की सफलता ,जीवन को बदलता ,
नेक कर्म करने का ,भाव आना चाहिए ।
भोर नित जागरण ,रोग दोष निवारण ,
स्वस्थ्य रहने का मंत्र ,रोज भोर जागिए।
———-
निकल रहे दिवस ,मानव रहा विवश ,
समय के बदलाव ,रोक नहीं सकते ।
आज का दिवस वार,कल होगा दूजा वार,
सप्ताह पर सप्ताह ,नाम याद रखते ।
लौटता समय नही ,दिवस नाम है वही ,
जीवन व्यतीत हुआ लक्ष्य न समझते ।
दिवस शुभ अवस्था , रात काली व्यवस्था ,
श्रेष्ठ धरा जन्म लाभ,नेक कर्म करते।
राजेश कौरव सुमित्र